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कोरोना: चारधाम यात्रा के इतिहास में पहली बार बदली केदारनाथ, बदरीनाथ खुलने की तारीख, अब 14 और 15 मई को खुलेंगे कपाट

कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन की स्थिति के चलते केदारनाथ और बद्रीनाथ के कपाट खोलने की तिथि बदल दी गई है। यह संभवत: चारधाम यात्रा के इतिहास में पहली बार हो रहा है कि जब केदारनाथ और बद्रीनाथ के कपाट खोलने की प्रस्तावित तिथियों को बदला गया है। उत्तराखंड स्थित भगवान बद्रीधाम धाम के कपाट 15 मई को प्रात: साढ़े 4 बजे खुलेंगे। गाडु घड़ा परंपरा के लिए तिल का तेल निकालने के लिए 5 मई की तिथि तय की गई है। जबकि केदारनाथ धाम के कपाट 14 मई को खुलेंगे। परंपरा के मुताबिक केदारनाथ के कपाट बद्रीनाथ के कपाट खुलने से एक दिन पहले ही खुलते हैं। चूंकि बदरीनाथ और केदारनाथ धाम के रावल दोनों चौदह दिन के लिए क्वारंटाइन पर रहेंगे इसलिए टिहरी के राजा मनुजेंद्र शाह ने सोमवार को नई तिथियों की घोषणा की।

इससे पहले केदारनाथ धाम के कपाट 29 अप्रैल को खोले जाने थे जबकि बदरीनाथ धाम के कपाट 30 अप्रैल को ब्रह्म मुहूर्त में 4 बजकर 30 मिनट पर श्रद्धालुओं के लिए खोल जाने थे।

चारों धामों में से गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के कपाट पहले से ही तय तिथि 26 अप्रैल को खोल जाएंगे।

मनुजेंद्र शाह ने कहा, ‘हमारे रावल केरल से उत्तराखंड आ रहे हैं। उत्तराखंड में आने के बाद उन्हें 14 दिनों तक क्वारंटाइन रखा जाएगा। ऐसे में मैंने बदरीनाथ और केदारनाथ के कपाट खुलने की तिथियों में बदलाव किया है। कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग एवं चिकित्सा संबंधी नियमों का पालन किया जाएगा।’

क्या ऐसा पहली बार हो रहा है जब तिथि बदली गई है? इस प्रश्न का जवाब देते हुए उन्होंने कहा- ‘मुझे याद नहीं है कि पहले कभी ऐसा हुआ हो। लेकिन इस बार बात कुछ और है, हमें हरेक के स्वास्थ्य का ध्यान रखना है।’

टेहरी राजपरिवार के राजा ने कहा, ‘केवल रावल या फिर फिर मेरे पास ही प्रतिमाओं को छूने और पूजा अर्चना करने का अधिकार है। बदरीनाथ में दक्षिण भारतीय रीति रिवाजों के अनुसार पूजा पाठ होता है जिसके लिए रावल केरल से आते हैं। हम नहीं चाहते कि कोई उत्तर भारत का पुजारी पूजा अर्चना करे क्योंकि रीति-रिवाज एक जैसे नहीं हैं। इस वजह से भी तिथियों में बदलाव करना पड़ा। नई तिथि तक रावल अपना क्वारंटाइन पीरियड खत्म कर लेंगे।’

परंपरा के मुताबिक, धामों के कपाट खुलने से पहले केदारनाथ और बदरीनाथ के रावल श्रद्धालुओं से दान लेने और उन्हें धाम आने का न्योता देने के लिए अलग-अलग राज्यों में जाते हैं। लॉकडाउन के चलते रावल केरल और महाराष्ट्र में फंसे रह गए।

उत्तराखंड के संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि स्थिति की समीक्षा करने के बाद धामों के खुलने की तिथि बदलने का फैसला लिया गया है।

 

source :- Live hindustan

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