ज्योतिष में उपच्छाया चंद्रग्रहण को वास्तविकता में कोई चंद्रग्रहण नहीं माना जाता लेकिन इस बार दुनिया पर कोरोना संकट छाया है जिससे इसका महत्व बढ़ गया है.
ज्योतिष विज्ञान के लिए जून माह की शुरुआत में ही एक बड़ी महत्वपूर्ण घटना होने वाली है. दरअसल 5 जून को 2020 का दूसरा चंद्र ग्रहण घटित होगा. कोरोना काल में होने वाले इस ग्रहण को ज्योतिष विज्ञान के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
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कब लगता है चंद्र ग्रहण
चंद्र ग्रहण उस स्थिति में लगता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में आते हैं. इस दौरान पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच में होती है, और इस कारण चंद्रमा की दृश्यता पृथ्वी से देखने पर कम हो जाती है. ज्योतिष विज्ञान में इस घटना को इसलिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस दौरान वातावरण में नकारात्मकता अधिक छा जाती है.
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तीन तरह के होते हैं चंद्रग्रहण
पूर्ण चंद्र ग्रहण: जब पृथ्वी पूरी तरह से सूर्य को ढकते हुए, सूर्य के प्रकाश को चंद्रमा पर नहीं पहुंचने देती है.
आंशिक चंद्र ग्रहण: जब चंद्रमा और सूर्य के बीच में पृथ्वी आकर, आंशिक रुप से चंद्रमा को ढक लेती है.
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उपच्छाया चंद्र ग्रहणः जब पृथ्वी की छाया वाले क्षेत्र में चंद्रमा आ जाता है, जिससे चन्द्रमा पृथ्वी से देखने पर कुछ कटा हुआ प्रतीत होता है.
यूं तो ज्योतिष में उपच्छाया चंद्रग्रहण को वास्तविकता में कोई चंद्रग्रहण नहीं माना जाता. इस उपच्छाया ग्रहण का सूतक भी माननीय नहीं होता. लेकिन इस वक्त भारत समेत पूरी दुनिया कोरोना संक्रमण से पीड़ित है तो इस स्थिति में ये ग्रहण काफी महत्वपूर्ण होने वाला है.
वैदिक शास्त्रों में चंद्रमा का संबंध मन और कफ प्रकृति से बताया गया है, और कोरोना काल में चंद्रमा पर 5 जून को ग्रहण लगना, भारत के साथ-साथ कई देशों के लिए काफी गहरा प्रभाव छोड़ने वाला है. हालांकि कई ज्योतिषी यह भी मान रहे हैं कि इस बार का उपच्छाया चंद्र ग्रहण का प्रभाव, मनुष्यों के लिए सामान्य से बेहतर रहेगा जिससे देश को कोरोना संक्रमण को कम करने में मदद मिलेगी.
source:-abplive