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जूलरी इंडस्ट्री को डर, और देर हुई तो चीन या थाइलैंड का हो जाएगा फायदा

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जेम्य ऐंड जूलरी इंडस्ट्री को डर सता रहा है कि कहीं उन्हें 1 अरब डॉलर का नुकसान न हो जाए। इतनी मूल्य का एक्सपोर्ट ऑर्डर लटका हुआ है। अगर कुछ दिन और देरी होती है तो चीन या थाइलैंड को फायदा हो सकता है।

हाइलाइट्स

  • जेम्स ऐंड जृलरी इंडस्ट्री, 1 बिलियन डॉलर से अधिक का एक्सपोर्ट लटका
  • राज्य सरकार से नहीं मिल रही काम की परमिशन, लगातार मांगी जा रही है
  • इंडस्ट्री को डर, चीन या थाइलैंड में न चले जाएं ऑर्डर
  • गुजरात और राजस्थान सरकार ने कारोबारियों को परमिशन दे दी है

सुधा श्रीमाली, मुंबई

इंडियन जेम्स ऐंड जृलरी इंडस्ट्री के पास 1 बिलियन अरब डॉलर से अधिक का बैकलॉग है, जिसे वे जल्द से जल्द डिलिवर करना चाहते हैं। दरअसल उन्हें डर है कि अब अगर एक्सपोर्ट करने में कुछ दिन की भी देर होने पर ये ऑर्डर कैंसल होकर चीन या थाइलैंड की झोली में न चले जाएं। इसलिए वे काम शुरू करने के लिए राज्य सरकार से लगातर परमिशन मांग रहे हैं, लेकिन अभी तक सिर्फ मौखिक आश्वासान ही मिला है। उधर, गुजरात और राजस्थान सरकार ने कारोबारियों को परमिशन दे दी है।

द जेम्स ऐंड जूलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (GJEPC) के प्रमोद अग्रवाल कहते हैं, ‘ऑर्डर के लायक 1 बिलियन डॉलर से अधिक के प्रॉडक्ट तैयार हैं। बस उसके लिए थोड़ी प्रक्रिया पूरी करने के लिए राज्य सरकार से परमिशन चाहिए, जो अभी तक मिली नहीं है। सरकार ने कहा है कि परमिशन देंगे, लेकिन हम एक-एक दिन गिनकर निकाल रहे हैं। सूरत और जयपुर में काम शुरू हो गया है, लेकिन मुंबई में अभी तक नहीं हो सका है।’

अग्रवाल ने बताया, ‘हम राज्य सरकार से कह रहे हैं कि सभी गाइडलाइंन का पालन करेंगे और युवा स्टाफ को बहुत कम संख्या में बुलाकर काम पूरा करेंगे, क्योंकि सीप्ज, भारत डायमंड बोर्स आदि यहां के प्रमुख एक्सपोर्ट जोन हैं।’

“डायमंड के लिए हमारे पास कोई फैक्ट्री नहीं होती। वहां बहुत रिस्ट्रिक्टेड एंट्री होती है। इसलिए अब राज्य सरकार ने हमें कुछ लोगों के साथ काम करने की परमिशन देने को कहा है, लेकिन कस्टम की मंजूरी अभी नहीं आई है। हमारा फोकस कोविड-19(COVID-19) से लड़ने में सरकार का साथ देने पर भी है, लेकिन हम नहीं चाहते कि हमारे हाथ से ऑर्डर चले जाएं।”-अनूप मेहता, प्रेजिडेंट, भारत डायमंड बोर्स
सूरत जाकर किया काम
कुछ दिनों पहले भारत डायमंड बोर्स ने सरकार से गुजारिश की थी कि उन्हें महज पांच दिन के लिए 300 कारीगरों काम करने की परमिशन दें, ताकि 8000 करोड़ रुपये के ऑर्डर डिलिवर किए जा सकें। अभी तक ऐसा नहों हो सका है।’ गौरतलब है कि 200 करोड़ रुपये का ऑर्डर भेजने के लिए कुछ दिन पहले एक कारोबारी अपना माल सूरत ले गया और वहां से अपना ऑर्डर हॉन्गकॉन्ग भेजने के लिए मजबूर हुआ। कारोबारियों का कहना है कि मुंबई में कस्टम ऑफिस खुले हैं, लेकिन वहां अधिकारी बहुत कम हैं। माहौल ऐसा है कि कन्साइनमेंट भेजना ही मुश्किल है। अगर तैयार माल भेजने में और देरी हुई तो ऑर्डर तो हाथ से जाएगा ही, लेबर का भुगतान भी करना होगा।

GJEPC के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल का कहना है, कारोबारी अभी तक परमिशन के इंतजार में हैं। भारत डायमंड बोर्स और GJEPC मिलकर एक एसओपी बना रहे हैं। इसे हम एमआईडीसी को देंगे, ताकि वे उसके मुताबिक हमें कारखाने खोलने की इजाजत दें और हम अपना बैकलॉग ऑर्डर क्लियर कर सकें।

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source:-Navbharattimes

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