बीकानेर , 13 जुलाई 2023 विश्व विख्यात पहलवान दारा सिंह जी की 11वीं पुण्यतिथि पर बीकानेर के पहलवान महावीर कुमार सहदेव के नेतृत्व में पत्थर के चौकीनुमा बाट जैसी आकृति के माल्है को एक हाथ से उठाकर प्रदर्शन किया गया। विलुप्ता की कगार पर पहुंचे इस खेल जिनका समय-समय पर बीकानेर के पहलवानों के द्वारा आम जनता के बीच प्रदर्शन कर फिर से जीवित किया गया है।
सहदेव काफी लंबे समय से स्वयं भी इस पत्थर के बने माल्हो को उठाते हैं एवं नव युवकों को भी इस कला के बारे में बताते हैं। पूरे भारतवर्ष में यह देसी वेट लिफ्टिंग एक जमाने में हुआ करती थी। जितने भी पहलवान हुए हैं सब ने इस पत्थर के माल्हे से कसरत की है । इस खेल को कहीं पर नाल उठाना भी कहते हैं और कहीं पर मुगदर भी कहा जाता है।
बीकानेर में अंग्रेजी शासन के वक्त इस प्रकार के बाट हुआ करते थे इन बाट को देखकर पत्थर को तरास कर चौकीनुमा माल्हा बनाया गया। केवल 20 सेकंड का यह खेल एक समय में बड़ा लोकप्रिय था। खेल भी बड़ा अनोखा है जिसको इस खेल का तजुर्बा होता है वही यह खेल खेल सकता है।
आपको बता दें कि बीकानेर में ही सिर्फ इसको माल्हे नाम से जाना जाता है।पूरे भारतवर्ष में अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नाम से इसको पुकारा जाता है। 25 वर्षों से इस खेल को जीवित रखे हुए हैं हमारे बीकानेर के वरिष्ठ पहलवान महावीर कुमार सहदेव। मैले मगरियों व देहात के क्षेत्रो में अभी भी लोग होली, तीज, ईद, मुहर्रम पर इस खेल का आयोजन करते हैं और अपनी अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार विभिन्न भार वर्ग के इन माल्हो को लोग भांति भांति के करतब कर उठाते हैं।
राजस्थान में इस खेल को जीवित रखने वाले बीकानेर के केवल एकमात्र पहलवान महावीर कुमार सहदेव ही हैं जिन्होंने इस खेल की कई प्रतियोगिताएं करवाई और इस खेल से जुड़े युवकों को प्रोत्साहन भी दिया।